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नवंबर 14, 2012

मेरा नाता

जिधर देखती हूँ
गम की परछाइयाँ है
मुहब्बत की डगर में
बस नफरत की खाइयाँ है !!

दुःख को ही बना लिया है
हमने अपना
खुशी तो लगती है
अब भयानक कोई सपना

दुःख से ही है अब
मेरा नाता
खुशी के बदले
गम ही है हमें भाता

दुखी मिलता है
जब कोई अदना
रिश्ता है कोई
लगता है अपना

गम को कहो
कैसे छोड़ दूँ !
किस्मत को भला
कैसे मोड़ दूँ!

किस्मत व गम
जब दोनों ही है पर्याय
तो फिर क्यों करुँ
मैं हाय -हाय

सुख ने तो कुछ पल ही
पकड़ा था हाथ
गम ही ने तो निभाया है
सदा मेरा साथ |

+++सविता मिश्रा 'अक्षजा' +++

18 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Achchhi rachna

बेनामी ने कहा…

achha

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

धन्यवाद आचार्य भैया ......

Pammi singh'tripti' ने कहा…


आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" ,बुधवार 13 दिसंबर2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in परआप भी आइएगा ....धन्यवाद!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Anita Laguri "Anu" ने कहा…

सुप्रभात सविता जी, पहली बार अपको पढने का मौका मिला.. आप बहुत अच्छा लिखती है, गहराई है इस रचना में आपके अंदर की उथल-पुथल स्वत उभर आई.. आशा करती हूं जब कभी दोबारा आपको पढुं तो आपकी लेखनी के और भी नये रुपो से परिचित हो पाईं... बधाई एवं शुभकामनाएं..!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

NITU THAKUR ने कहा…

सुन्दर.....
कोई ख्वाब लिखता है
कोई खयाल लिखता है
मेरा मन तो पागल
दर्दे हाल लिखता है

विश्वमोहन ने कहा…

सुंदर!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

शुभ दोपहर, बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया आपका।😊😊

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया भैया आपका। सादर नमस्ते

कविता रावत ने कहा…

बहुत ही सीधे सरल शब्दों में मनोभावों की सुन्दर प्रस्तुति अपनी सी लगी

Archana ने कहा…

sundar rachna |

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति !

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति !

रेणु ने कहा…

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ---