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फ़रवरी 28, 2013

गम के समुन्द्र में न कभी डूबना
खुशियों नदियों में भी तैरना
आदत है दुनिया की ग़मों को देना
खुशियों के पोखर को भी सहेजना
गमो पर तब खुशियाँ होगी भारी
दुनिया के कवायदों पर फिरेगा तब पानी
|..सविता मिश्रा

फ़रवरी 26, 2013

अड़ियल दिल

समझाने की कोशिश की बहुत दिल को
पर कम्बख्त ना समझा ना ही बहला
सुनहरे पलों को याद दिलाकर बहलाया इसे 
कोई  करता है 
प्यार बहुत ही ज्यादा तुझसे 
पर मूरख था दिल अपना ना समझा ना बहला
 रहा कोसता खुद को मेरी सुनने को कहाँ तैयार भला
उनके एक व्यंग्य  पर इतना टूट सा गया
कि रो-रोकर आँखों को भी सुजा लिया
प्यार भरी बातें  थी जितनी वे
  भूलकर  सभी
 कड़वी बात
एक उनकी दिल से लगा लिया
बहुत समझाया हमने इस नादाँ दिल को
करता है कोई प्यार बहुत ही ज्यादा तुझको
पर अड़ियल था ये दिल अपना
ना समझा 
और ना ही बहला
दिल मेरा अकड़ा था और अकड़ा ही रहा
पूर्वाग्रह में जकड़ा था और जकड़ा ही रहा |
..सविता मिश्रा

फ़रवरी 25, 2013

~पानी पानी होता है~


पानी पानी होता है,
नेता बड़ा नामी होता है
सदा खद्दर पहनता ,
काले कारनामे छुपाता |


लच्छेदार भाषण देकर,
जनमानस को है बहकाता,
हर गुर है जानता परन्तु,
अपनी राष्ट्रभाषा नहीं पहचानता

करता हिन्दी का प्रचार ,
रख अंग्रेजी का आड़ ,
हिन्दी में टाय-टाय फिस,
पढता अंग्रेजी में फिजिक्स |

अंग्रेजी में भाषण देता फटाफट ,
हिन्दी सुनते ही मुंह जाता लटक,
सभी दागते उन्हें सलामी क्योकि
नेता होता है बड़ा नामी |

नेता के इशारे पर होता ट्रांसफर ,
इंजिनियर ,डाक्टर, हो या पोलिस आफिसर ,
दम पर चलते उनके ,
काला बाजार हो या शराब के ठेके |

सफ़ेद पोश की काली छाया ,
पड़ी जिस पर वह उभर कर ना आया,
चुनाव में चलती उसकी गुंडागर्दी ,
जो बोलता उसकी उतरती वर्दी |

भ्रष्टाचार के सौदागर ,
उसके होते हमसफ़र ,
उसके बल पर ही चलता ,
सदा शासन व सत्ता |

इजाजत बैगेर नेता के ,
पत्ता भी नहीं हिलता,
देता नहीं जब तक सिग्नल,
छुटता नही कोई क्रिमनल |

कराते है सांप्रदायिक दंगा,
करते है माँ बहनो को नंगा,
करते है देश की इज्जत का सौदा,
इससे ज्यादा कार्य अब और करगे क्यां भद्दा |

चुनाव में पानी -पानी होता है
फिर भी नेता बड़ा नामी होता है || ३/९०
||सविता मिश्रा ||

फ़रवरी 14, 2013

वेलेंटाइन-डे

वेलेंटाइन-वेलेंटाइन यही हैं सब रट रहें
क्या हुआ हमारी युवा पीढ़ी को जो भटक रहें|
सड़क चलतें,स्कूल-कालेज एवं पार्क में
ढूढ़ते अपना वेलेंटाइन है नजर आ रहें|
हर जगह हर कहीं अब तो यही
वेलेंटाइन-डे ही सब मना रहें|
विरोध करके कुछ लोग ना चाहतें हुए भी
इसी उपयोगिता और भी अधिक बढ़ा रहे|
मना करो बच्चों को कि यह मत करना कभी
और भी उत्साहित हूँ करतें हैं वह काम|
उसी तरह इसका विरोध कर रहे है जो विरोधी
स्वयं ही इसका ना चाहते हुए कर रहें हैं प्रचार|
विरोध ना करके इसका डालो मिट्टी इस पर
करो अपनी ही सभ्यता एवं संस्कृति का प्रचार|
जैसे भड़कती हुई आग जल्दी से नहीं होती शांत
उसी तरह यह भी युवाओं के मन में है धधक रही|
जितना ही रोकेगे रोक लगा इस वेलेंटाइन डे पर
उतना ही ज्यादा भड़केगी विकट रूप लेकर|
पुरानी कहावत है अपनी मिट्टी डालो
उसी को तुम विरोधी भी अपना लो|
अतः शांत हो सोचों एक नयी राह आज
विरोध बंद कर करो अपनी सभ्यता का आगाज|
जिस दिन करना छोड़ दोगे विरोध का तांडव
अपने आप ही शांत हो जायेगा यह फूहड़पन|....सविता मिश्रा

+अंधभक्त +



लकीर पर चलने वाले
बात कब किसकी माने है
बोलो कुछ आस्था विरुद्ध तो
भृकुटी हम पर ही ताने है|
क्या करें मौन रह सब कुछ
सह सुन हम रो पड़ते है
अपनी आस्थाओं को हम यूँ ही
क़दमों में रौद देते है|
आस्था के नाम पर लगती है
मंदिर मस्जिद में खूब भीड़
नहीं किसी का ख्याल करतें
मिलेगें जैसे इन्हें ही प्रभु सीना चीड़|
धक्का मुक्की कर बढतें है
प्रभु के नजदीक ऐसे
प्रभु मिल ही जायेगें इनकों
जो दूसरो को सतायेगे जैसे|
आस्था के नाम पर यही खिलवाड़
और भक्त जाये चाहे भाड़

अक्सर देखा है प्रभु मिलन को देते धक्का
अंधभक्तों से पल्ला पड़ाऔर दिमाक सटका|...........सविता मिश्रा

फ़रवरी 03, 2013

:) रिश्वत का थैला :)