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फ़रवरी 14, 2014

~वेलेंटाइन डे~

कुछ और मनाइये यह मिडिया के प्रचार पर मत जाइये ..........आप सभी को रविदास जयंती की हार्दिक बधाई...
और भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को  नमन हम कृतघ्न राष्ट्रवासियों द्वारा .....


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वेलेंटाइन डे -वेलेंटाइन डे सब यहीं रट रहें हैं
क्या हुआ हमारी युवा पीढ़ी को जो भटक रहें हैं|
सड़क चलतें,स्कूल-कालेज एवं पार्क में
ढूढ़ते हुये अपना वेलेंटाइन ही नजर आ रहें हैं|

विरोधी विरोध का कर रहें हैं जो आचार
स्वयं ही ना चाहते हुए कर रहें इसका प्रचार|
विरोध ना करके सब डालो इस पर मिट्टी
प्रचारित करो अपनी ही सभ्यता एवं संस्कृति|

जैसे भड़कती हुई आग नहीं होती जल्दी शांत
वैसे यह भी युवाओं के मन में धधक रही हैं |
जितना ही लगाओंगे आगे बढ़ बंदिश इस डे पर
उतना ही ज्यादा भड़केंगी यह विकट रूप लेकर|

अतः शांत होकर सोचो एक नयी राह आज
विरोध बंद कर, करो अपनी सभ्यता का आगाज
एक ना एक दिन युवा पहचानेंगे अपनी संस्कृति
अपने आप ख़त्म हो जायेंगी यह पाश्चात्य विकृति|
.....सविता मिश्रा

फ़रवरी 13, 2014

**अपमान के आँसू**

आपने कभी अपमान के आँसूओं में
डूब कर देखा है?
शायद नहीं ...
मैंने पिए है अपमान के आँसू
जिन्हें बहाने में सभी ने साथ दिया है
जब-जब पोंछने की कोशिश की मैंने
कुछ ज्यादा ही बहें हैं
फिर भी मैंने प्रयत्न करके
उन्हें रोक लिया है
लेकिन कब तक?
एक दिन तो ये बाँध टूटेगा ...
और उस दिन सभी डूब जायेंगे
आँसूओं के समुद्र में
उसकी गहराई इतनी होगी कि
उबर नहीं पायेंगे
अगर उबर गए तो
भूल कर भी किसी को
अपमान के आँसू नहीं रुलायेंगे

कभी नहीं रुलायेंगे ....|
सविता मिश्रा

फ़रवरी 03, 2014

भय बिन होए ना प्रीति-




कितनी बार बुलाया हमने प्रभु तुम ना आए
कितनों ने हम पर सितम ढाएं पर तुम ना आए |

हम चिखते-चिल्लाते रहें पर प्रभु तुम ना आए
कैसे द्रोपदी की एक पुकार पर तुम दौड़े आए थे |

इस युग में क्या तुम भी डर गए जो ना आए
हर युग में स्त्री का अस्तित्व हनन क्यों करवाए |

युग दर युग नारी पर अत्याचार क्यों बढ़ता जाता है
पहले था चिरहरण अब वहशी दरिंदा बन जाता है |

उस युग में बस चिरहरण कर लाज दुश्सासन ने लुटा
इस कलयुग में तो प्रभु देखो मानव गिद्ध ही बन बैठा |

प्रभु देखो हमको वह नोंच-खसोट रहा
हम बहुत चीखे-चिल्लाएं पर तू बैठा ही रहा |

हमारी यह दशा देख भी तुम क्यों ना अकुलाए
क्यों नहीं दुष्टों पर अपना सुदर्शन चक्र चलाए |

लाज लुटती रही हमारी, मानव बहशी हो गया
देखों ना प्रभु हमारी इज्जत को तार-तार कर गया |

अब तो जब तक सांस रहेगी मेरी तुझको ही कोसेंगे
बेटी क्यों बनाया हमको यही बात बस तुझसे पूछेंगे |

बनाया तो बनाया पर ऐसे कमजोर सी क्यों बनाया
आठ-दस को मार गिरायें ऐसी दुर्गा क्यों नहीं बनाया |

जब तुझे मालुम था तू भी डरकर रक्षार्थ नहीं आएगा
हमें शक्ति देता जिससे हम अपनी रक्षा आप कर पाते |

वह नारी बहुत किस्मत वाली है जिन पर दरिंदो की नजर नहीं पड़ती
कुछ ऐसी किस्मत सभी को देता तो बता प्रभु भला तेरा क्या जाता |

तू आ नहीं सकता था इस कलयुग में, डर गया था मालूम है हमें
बस तू हमें ही शक्ति दें दे यही प्रार्थना करतें हैं तुझसे तन-मन से |

हमारी शक्ति देख फिर तू हम क्या-क्या नहीं करते
गन्दी नजर से देखने वालों की आँख निकाल लेते |

गलत हरकत पर हाथ काटकर उसका मुहं काला करते
कोई नजर उठा ना देखता हमको फिर हम यूँ शान से चलते |

अदब से झुक जाती नजरें फिर तो नारी के सम्मान में
भय बिन प्रीति नहीं होती है प्रभु आजकल इस जहां में |...सविता मिश्रा