फ़ॉलोअर

जुलाई 20, 2016

जाने दे-

रुक थोड़ा सा मुझको संभल जाने दे
मुझमें भी जरा सी तो समझ आने दे
मैं भी कलम पकड़ कुछ लिख सकूँ
मुझे इतनी कलमकारी तो सीख जाने दे


हुनर सिखने में लगेगी तनिक देर अभी
गजल के 
भी कुछ नियम सीख जाने दे

प्रयास हैं बहुत पर थोड़ा वक्त है अभी
बुद्धि में हमारी भी  पैठ ise बनाने दे
कलम अपनी जब चल  पड़ी idhr को
तो उसे भी कुछ गजल कह 
ही जाने दे|...सविता.....

कोई टिप्पणी नहीं: